पिलखुवा में हुयी हास्य दर्शन काव्य संध्या
Feb 22, 2010प्रेषक: अभिनव @ 2/22/2010 3 प्रतिक्रियाएं
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अलार्म बज बज कर, सुबह को बुलाने का प्रयत्न कर रहा है, बाहर बर्फ बरस रही है, दो मार्ग हैं, या तो मुँह ढक कर सो जाएँ, या फिर उठें, गूँजें और 'निनाद' हो जाएँ।
प्रेषक: अभिनव @ 2/22/2010 3 प्रतिक्रियाएं
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