एक अधूरा गीत भी पढ़ लीजिए।
आज कलाई फिर से सूनी
आज कलाई फिर से सूनी है इस रक्षा बन्धन पर,
भटक रहा है मन रह रह कर रोली चावल चन्दन पर,
स्मृतियों में त्योहारों की धुँधली रेखा बाकी है,
घूम घूम कर देखा सबकुछ पर अनदेखा बाकी है,
बचपन के किस्सों में बसते गाँव कई अनदेखे हैं,
मन के भीतर पलने वाले भाव कई अनदेखे हैं,
तन के सिंहासन पर बैठा अहंकार अनदेखा है,
अपनों के नयनों से बरस रहा प्यार अनदेखा है,
दुनिया देख रहे हो प्यारे, कभी इन्हें भी देखो रे,
बोझ व्यर्थ का क्यों ढोते हो इसको बाहर फेंको रे।
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विश्व हिन्दी सम्मेलन का अंग्रेज़ी प्रमाण पत्र - आज ही मिला
Aug 28, 2007प्रेषक: अभिनव @ 8/28/2007
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8 प्रतिक्रियाएं:
प्रमाणपत्र बहुत मेहनत करके 'डिजाईन' किया गया है......
दुनिया देख रहे हो प्यारे, कभी इन्हें भी देखो रे,
बोझ व्यर्थ का क्यों ढोते हो इसको बाहर फेंको रे।
श्रवण कुमार मिलते रहेंगे और बोझ ढोते रहेंगे.कैसे बाहर फेंकेंगे इनको?
पूरा गीत पढने की आशा बनी रहेगी....
बेचारे न्यूयार्क दूतावासियों के पास हिन्दी की सुविधा नहीं है शायद। इसका हिन्दी रूपान्तरण करके आप उन्हें वापस भेज दीजिए। साथ ही उन्हें हिन्दी में हस्ताक्षर करना भी सिखाइए।
हिन्दी सम्मेलन करके और सरकारी प्रयास से हिन्दी को दुनिया की भाषा बनानेवालों को यह प्रमाणपत्र जरूर देखना चाहिए.
सही है। कविता पूरी करी जाये।
क्या कहें-हद है.
सच है कि इसका हिन्दी रुपंतरण करके मंत्रालय और दूतावास को भेज दो..इस बार नहीं तो आगे काम आयेगा.
क्यों शिकायत कर रहे हो भाई
हिन्दी भाषा के प्रति
अपने प्रेम को
हमने घूँट घूँट कर
यों पिया है
कि हिन्दी में एम ए
इंग्लिश मीडियम
से किया है
Abhinav Jii vishav hindi sammalan ma agnrazi ka praman patr atyant sharm nak ghatna hai .Ham SAMEERA namak hindi patrika ka prakashan karte hai.SAMEERA hast nirmit kagaz par prakashit hoti hai.hast nirmit kagaj ka upyug ka karan pryavarn sarakashan tatha rozgar ka avasar badana hai.kya ham apke blog ki rachanaon ka prakashan SAMEERA MA KARSAKATA HAI.
अब तो हमें भी कहना ही पडेगा Congratulations
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