करो मत व्यर्थ जीवन का प्रबल आधार हो जाओ,
ना बन पाओ यदि तुम गुल, नुकीले ख़ार हो जाओ,
सुबह उठ कर नहाते हो औ पूजा पाठ करते हो,
अमाँ तुम आदमी अब हो गए बेकार हो जाओ,
चिलम को हाथ में लेकर लगाओ कश पे कश प्यारे,
चलो मूँदो ये आँखें डूब जाओ पार हो जाओ,
ज़रा पेटी कसो बंदूक की गोली भी चेक कर लो,
इलेक्शन आ रहे हैं दोस्तों, तैयार हो जाओ,
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इलेक्शन आ रहे हैं दोस्तों
Dec 28, 2006प्रेषक: अभिनव @ 12/28/2006
Labels: गीतिका
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5 प्रतिक्रियाएं:
अभिनव भाई, ई कोउन इलेक्शन की बात है भैये, ऊ उ.प्र. वाला या कौनो ओउर??
--लिखे बढ़ियां हैं, बधाई.
ज़रा पेटी कसो बंदूक की गोली भी चेक कर लो,
इलेक्शन आ रहे हैं दोस्तों, तैयार हो जाओ|
:)
अंतिम पंक्तियाँ मजेदार है.
भाईलोग, बंदूक और गोली तो अपुन के पास हैइच नहीं। अपुन के पास तो बस "बगल में छुरी और मुँह में राम-राम है" :)
न मौका हाथ से जाये लगाओ तिकड़में सारी
लगा पकने है दाड़िम यार तुम बीमार हो जाओ
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