ये लाठी मारी है सीधे दिल पर हिन्दुस्तान के.
वह ज्योति जो नमन देश का है हर वीर शहीद को,
अजय आहूजा, विक्रम बत्रा, पाण्डे और हमीद को,
तुम जाने किस मद में डूबे उस पर ही जा टूट पड़े,
दुखी हुआ मन बहुत देख नयनों से धारे छूट पड़े,
तुम भी तो इस देश के बेटे हो इस घर का हिस्सा हो,
किसका बदला लेना था तुमको अपनी पहचान से,
लाठी नहीं चलाई प्यारे तुमने 'अमर जवान' पे,
ये लाठी मारी है सीधे दिल पर हिन्दुस्तान के.
कौन हो तुम जो समझ चुके हो आज़ादी का महामंत्र,
देश पे मरने वालों पर भी लात चलाने को स्वतंत्र,
मौन धरे, ही ही... करता ये बुद्धिजीवी किन्नर समाज,
आँखों का पानी सूख चुका न बाकी कोई शर्म लाज,
लूट रहे खूंखार भेड़िये कोई नहीं बचाने को,
सब आशाएं टूट चुकी हैं दिल्ली के सुल्तान से,
लात नहीं मारी है प्यारे तुमने 'अमर जवान' पे,
लात पड़ी है जाकर सीधे दिल पर हिन्दुस्तान के.