tag:blogger.com,1999:blog-22420687.post1477857302227772151..comments2023-09-03T20:06:37.331+05:30Comments on निनाद गाथा: वह समाज मर जाता है जिसकी कविता डरती हैअभिनवhttp://www.blogger.com/profile/09575494150015396975noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-22420687.post-26772739991519193552007-02-03T15:48:00.000+05:302007-02-03T15:48:00.000+05:30सच का चित्रण किया गया है…कवि का हृदय अपने आस पास क...सच का चित्रण किया गया है…कवि का हृदय अपने आस पास के मंजर मे ही टटोलता है अपनी प्रेरणा के तस्वीर को…मगर दुनियाँ आज इतनी जटिल हो चुकी है कि आज का कवि भी चाटुकार हो गया है…और जब आप मौका परस्त हो जाते हैं तो आपकी रचना…का…ओज समाप्त हो जाता है…।Divine Indiahttps://www.blogger.com/profile/14469712797997282405noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-22420687.post-60117631009438840142007-02-02T18:45:00.000+05:302007-02-02T18:45:00.000+05:30कविता जब वरदाई करे तो बदला है इतिहास
और चन्द्र गंध...कविता जब वरदाई करे तो बदला है इतिहास<br />और चन्द्र गंधर्व जगाते मरुथल में मधुमास<br /><br />जो कवि डरा, सही मानों में कवि नहीं होता<br />कैसे भी हों क्षण, विवेक को कभी नहीं खोता<br /><br />बिस्मिल हों, प्रदीप हों या हो भरत व्यास की वाणी<br />संवरी सदा अवस्थी के स्वर में कविता कल्याणी<br /><br />तुलसी की कविता ने सबको एक सूत्र में बाँधा<br />मीरा के कवित्त ने अपने प्रियतम को आराधा<br /><br />बेअर्थी तुकबन्दी क्प कविता कहना गलती है<br />वह समाज मर जाता है, जिसकी कविता डरती हैराकेश खंडेलवालhttps://www.blogger.com/profile/08112419047015083219noreply@blogger.com