और ये समाँ रहे...

Jan 31, 2017

ऐसा रंग बरसे कि तन रंग जाए खूब,
मन वाला प्रेम रंग रंग में रमा रहे,
गले मिलें तौल तौल खुशियों के ढेर सब,
गुझियों का स्वाद हर जीभ पे जमा रहे,
स्वरों का समूह धरा पे उमंग भर जाए,
गीतों के नशे में डूब डूब आसमाँ रहे,
मेरी ईश्वर से विनीत विनती है यही,
हम रहें तुम रहो और ये समाँ रहे।

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