मन मंदिर में झंकार रहे

Nov 22, 2012

हंसवाहिनी के हंस मोती चुनें, मोतियों की सदा भरमार रहे,
वीणापाणी की वीणा बजे रागिनी, मन मंदिर में झंकार रहे,
ज्ञानदायिनी, ज्ञान भले ही न दे, भक्ति और प्रेम की रसधार रहे,
तेरे चरणों में शीश नवाता रहूँ, माता तेरा सदा उपकार रहे।

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