शतकीय पोस्ट - एक हास्य कविता - पतलम मंत्र

Apr 7, 2008

ये लीजिये धीरे धीरे कर के हम भी शतकीय क्लब में शामिल हो रहे हैं. आज हमारी सौंवी पोस्ट के रूप में अपनी नई कविता 'पतलम मंत्र' प्रस्तुत कर रहे हैं. मुट्टम मंत्र पढ़ पढ़ कर हमारा वजन नित नई ऊँचाइयाँ तय करने लगा था. उसी को वापस अपनी सीमा में लाने का भाव मन में लिए हुए ये रचना लिखी है.





पतलम मंत्र

जाएँ जाकर देख लें धर्म ग्रन्थ और वेद,
कोई न बतलायेगा मोटापे का भेद,
मोटापे का भेद क्या साहब क्या चपरासी,
फूली तोंद, मुक्ख पर चर्बी, खूब उबासी,
सुधड़ देवियाँ देवों से जब ब्याह रचाएं,
दो दिन में मोपेड से ट्रेक्टर बन जाएँ.

कद्दू आलू गबदू थुलथुल गैंडे भैंसे,
संबोधन सुनने पड़ते हैं कैसे कैसे,
कैसे कैसे संबोधन ये मोटा मोटी
कहते सूख रही चादर जब धुले लंगोटी,
अपमानों को पहचानो अब मेरे दद्दू,
मन में ठानो कोई नहीं अब बोले कद्दू.

मोटे लोगों का सदा होता है उपहास,
दुबले होते ही डबल होता है विश्वास,
होता है विश्वास हृदय में अंतर्मन में,
आती है वो पैंट जिसे पहना बचपन में,
आयु में भी पाँच बरस लगते हैं छोटे,
रहते हैं खुश लोग वही जो न हैं मोटे.

मोटू लाला ब्याह में गए तो सीना तान,
जयमाला को भूल कर ढूंढ रहे पकवान,
ढूंढ रहे पकवान वो रबडी भरी कटोरी,
नाक कटा कर रख देती है जीभ चटोरी,
तभी कैमरा वाले आकर ले गए फोटू,
खड़े अकेले खाय रहे हैं लाला मोटू,

सोचो ये चर्बी नहीं बल्कि तुम्हारी सास,
दूर भगाने हेतु इसको करो प्रयोजन खास,
करो प्रयोजन खास लड़ाई की तैयारी,
सास बहू में एक ही है सुख की अधिकारी,
जीवन गाथा से आलस के पन्ने नोचो,
हट जायेगी चर्बी अपने मन में सोचो.

जाकर सुबह सवेरे श्री रवि को करो प्रणाम,
निस बासर जपते रहो राम देव का नाम,
राम देव का नाम बड़े ही प्यारे बाबा,
बिना स्वास्थ्य के आख़िर कैसा काशी काबा,
प्राणायाम करो हंसकर गाकर मुस्का कर,
रोज़ शाम को पति पत्नी संग टेह्लो जाकर.

आगे बढ़ती जाएँ ये प्रतिपल बोझ उठाये,
इनकी ऐसी स्तिथि अब देखी न जाए,
अब देखी न जाए न कुछ भी हमसे मांगें,
वजन घटाओ देंगी दुआएं अपनी टाँगें,
मान लो यदि कभी जो कुत्ता पीछे भागे,
हलके फुल्के रहे तो ये ही होंगी आगे.

हम दुबले हो जाएँ तो रिक्शा न घबराए,
ऑटो अपनी सीट पे दो की चार बिठाए,
दो की चार बिठाए कभी न आफत बोये,
सुंदर कन्या चित्र हमारा लेकर सोये,
यदि ऐसा हो जाए तो फिर काहे का ग़म,
मैराथन भी दौडेंगे चार दिनों में हम.

करेंगे अब क्या भला लल्लू लाल सुजान,
दुबले हैं हिर्तीक और दुबले शाहरुख़ खान,
दुबले शाहरुख़ खान पेट की मसल दिखायें,
उसी उमर के चच्चा अपना बदन फुलाएं,
वह भी दुबले होकर के रोमांस करेंगे,
शर्ट उतारेंगे फिर डिस्को डांस करेंगे.

आए फ़ोन से फ़ूड और बैठे बैठे काम,
टीवी आगे जीमना क्या होगा अंजाम,
क्या होगा अंजाम बात निज लाभ की जानो,
देता पतलम मंत्र तुम्हें इसको पहचानो,
कह अभिनव कविराय जो इसको मन से गाए,
चार दिनों में हेल्थी वेट लिमिट में आए.

9 प्रतिक्रियाएं:

कविता अत्यन्त सुंदर है ...शतकीय पोस्ट हेतु बधाईयाँ !

mamta said...

शतकीय होने की बधाई और शुभकामनाएं।

बढ़िया!!
बधाई शतक के लिए
शुभकामनाएं

अरे महाप्रभु ! यह बतलाऒ ऐसा गज़ब किसलिये ढाया ?
पहले तो आकर के तुमने हमको मुट्टा मंत्र पढ़ाया
उस का हमने जाप किया औ बीस किलो था वज़न बढ़ाया
छप्पन भोग बनाओ प्रतिदिन ये था बीबी को सिखलाया
अब तुमने भी नेता जैसे नई रीत क्यों आज निकाली ?
क्या चुनाव आने वाले हैं, या फिर रूठ गई घरवाली
अब शायद हमको भी यह पथ अदनानी अपनाना होगा
वैसे यह रचना अच्छी है, स्वीकारो ताली दर ताली

Udan Tashtari said...

जय हो स्वामी अभिनवानन्द जी की जो ऐसे गुरुमंत्र लाये...अब तो कुछ उम्मीद सी जाग ली है.

:)

शतकीय पोस्ट की अनेकों बधाई और आने वाले समय में ऐसे ही सहस्त्रों शतकों के लिये शुभकामनायें.

पूरी पढ़ने के लिये कापी कर ली है पर जितनी ये पतलम मंत्र पढ़ी है उतनी ही अच्‍छी लगी है अपनी प्रशंसा ( भई हम भी तो लगभग पतले ही हैं)

शतकीय बधाई जी। ऐसे ही लिखते रहे सतत।

Reetesh Gupta said...

कद्दू आलू गबदू थुलथुल गैंडे भैंसे,
संबोधन सुनने पड़ते हैं कैसे कैसे,
कैसे कैसे संबोधन ये मोटा मोटी
कहते सूख रही चादर जब धुले लंगोटी,
अपमानों को पहचानो अब मेरे दद्दू,
मन में ठानो कोई नहीं अब बोले कद्दू.

बहुत खूब...हाहाहाहा...बढ़िया है अभिनव भाई ..शतकीय पोस्ट की बधाई

Rama said...

डा. रमा द्विवेदीsaid....

अभिनव जी,

शतक बनाने के लिए ढ़ेरों बधाई एवं शुभकामनाएं । हास्यपूर्ण कविता बड़ी सार्थक लगी...ज्यादा लोगों को इस मंत्र की आवश्यकता है;)