मेरा कैलेण्डर बता रहा है,
नया साल आने वाला है,
साथ जो अब तक निभा रहा था,
वह पीछे जाने वाला है,
चलो उठें हम, पुनः अंगड़ाई लेकर कुछ संकल्प करें,
ये करना है, वो करना है, कहें अधिक पर अल्प करें,
फिर वापस पटरी पर आएँ, गीत पुराने सुर में गाएँ,
आलस का बादल भी हम पर,
कुछ दिन में छाने वाला है,
मेरा कैलेण्डर बता रहा है,
नया साल आने वाला है,
पिछले वर्ष भी सूरज कितने अंधकार से छले गए,
बिस्मिल्लाह शहनाई मधुर सी संग में लेकर चले गए,
गौतम गए प्रभु से मिलने, श्याम श्याम के आंगन खिलने,
मायाजाल बिछाती दुनिया,
सचमुच में गड़बड़झाला है,
मेरा कैलेण्डर बता रहा है,
नया साल आने वाला है,
मेरी विनति है ईश्वर से शुद्ध प्रेम की धारा हो,
मिले प्रमोशन सबको जग में सबके घर उजियारा हो,
शांति पताका जग पर फहरे, पत्नी का बेलन ना लहरे,
चटख़ चटाख़ा फटक फटाका,
कविताएँ लाने वाला है,
मेरा कैलेण्डर बता रहा है,
नया साल आने वाला है,
महा लिख्खाड़
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आओ भाई २००७
Dec 30, 2006प्रेषक: अभिनव @ 12/30/2006
Labels: कविताएं
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1 प्रतिक्रियाएं:
बाकी आपकी सारी मंशायें ग्रांट कर दी गई हैं, एक को छोड़ कर, उस पर ईश्वर का कोई बस नहीं है:
"पत्नी का बेलन ना लहरे,"
-इसके बदले चाहें तो पाँच और कोई से भी वरदान माँग लें.
--कविता मजेदार है.
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