हमने अपना भेष बदल कर देख लिया,
सच्चाई की राह पे चल कर देख लिया,
भाई नें भाई को गोली मारी है,
अपना घर चुपचाप संभल कर देख लिया,
अच्छी खासी कनफ्यूज़िंग सामग्री है,
सभी धर्म ग्रन्थों को पढ़ कर देख लिया,
रात और दिन को कैसे जुदा करें बोलो,
हमने फिर सपने में दफ्तर देख लिया,
लगता है माडर्न आर्ट सा जीवन है,
दुनिया के नक्शे पर कढ़ कर देख लिया,
'अभिनव' अनुबंधों के नव संबंधों में,
झूठी मुस्कानों को भर कर देख लिया।
महा लिख्खाड़
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भाई नें भाई को गोली मारी है
Apr 26, 2006
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4 प्रतिक्रियाएं:
भाई नें भाई को गोली मारी है,
अपना घर चुपचाप संभल कर देख लिया,
...बहुत बढियां, अभिनव भाई.
बढ़िया तुक भिड़ायी गयी है,पढ़ के देख लिया है।
दिनोदिन लेखन मे निखार है, हर बार आकर देख लिया है।
अच्छी कविता है। लगे रहो।
बढ़िया है अभिनव भाई,
हमारा मन भी बोल उठा
मां मरी आज जिन्दा छिना है सहारा
बेटे ने बेटे को क्यों ऐसे मारा
महाजन की गोली महाजन का सीना
महाजन को हमसे महाजन ने छीना
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