tag:blogger.com,1999:blog-22420687.post7744328832785842986..comments2023-09-03T20:06:37.331+05:30Comments on निनाद गाथा: "अँधेरी रात का सूरज" - राकेश खंडेलवालअभिनवhttp://www.blogger.com/profile/09575494150015396975noreply@blogger.comBlogger11125tag:blogger.com,1999:blog-22420687.post-37673351901400367222008-10-14T23:19:00.000+05:302008-10-14T23:19:00.000+05:30इतनी सारी शुभकामनायें, इतना अपनापन और बिखरते हुए श...इतनी सारी शुभकामनायें, इतना अपनापन और बिखरते हुए शब्द हाथ में पकड़े<BR/>व्यस्तताओं से जूझता मैं. यद्यपि मेरा प्रयास होता है कि सभी को व्यक्तिगत <BR/>तौर पर संदेशों के उत्तर लिखूँ. इस बार ऐसा होना संभव प्रतीत नहीं हो रहा है<BR/>इसलिये सभी को सादर प्रणाम सहित आभार व्यक्त कर रहा हूँ. भाई समीरजी, <BR/>पंकज सुबीरजी, सतीश सक्सेनाजी. नीरज गोस्वामी जी, कंचन चौहान जी,अभिनव शुक्लजी,श्रीकांत पाराशरजी,स्वातिजी<BR/>गौतमजी, रविकान्तजी, मीतजी, राजीव रंजन प्रसादजी, पारुलजी संजय पटेलजी.<BR/>पुष्पाजी, मोनिकाजी, रमेशजी, रंजनाजी, रंजूजी, सीमाजी,अविनाशजी,फ़ुरसतियाजी,<BR/>लवलीजी,अजितजी,योगेन्द्रजी,पल्लवीजी,लावण्यजी,शारजी,संगीताजी,अनुरागजी,मोहनजी,<BR/>तथा अन्य सभी मेरे मित्रों और अग्रजों को अपने किंचित शब्द भेंट कर रहा हूँ<BR/><BR/>मन को विह्वल किया आज अनुराग ने<BR/>सनसनी सी शिरा में विचरने लगी<BR/>डबडबाई हुई हर्ष अतिरेक से<BR/>दॄष्टि में बिजलियाँ सी चमकने लगीं<BR/>रोमकूपों में संचार कुछ यूँ हुआ<BR/>थरथराने लगा मेरा सारा बदन<BR/>शुक्रिया लिख सकूँ, ये न संभव हुआ<BR/>लेखनी हाथ में से फ़िसलने लगी<BR/><BR/>आपने जो लिखा उसको पढ़, सोचता<BR/>रह गया भाग्यशाली भला कौन है<BR/>आपके मन के आकर निकट है खड़ा<BR/>बात करता हुआ, ओढ़ कर मौन है<BR/>नाम देखा जो अपना सा मुझको लगा<BR/>जो पढ़ा , टूट सारा भरम तब गया<BR/>शब्द साधक कोई और है, मैं नहीं<BR/>पूर्ण वह, मेरा अस्तित्व तो गौण है<BR/><BR/>जानता मैं नहीं कौन हूँ मैं, स्वयं<BR/>घाटियों में घुली एक आवाज़ हूँ<BR/>उंगलिया थक गईं छेड़ते छेड़ते<BR/>पर न झंकॄत हुआ, मैं वही साज हूँ<BR/>अधखुले होंठ पर जो तड़प, रह गई<BR/>अनकही, एक मैं हूँ अधूरी गज़ल<BR/>डूब कर भाव में, पार पा न सका<BR/>रह गया अनखुला, एक वह राज हूँ<BR/><BR/>आप हैं ज्योत्सना, वर्त्तिका आप हैं,<BR/>मैं तले दीप के एक परछाईं हूँ<BR/>घिर रहे थाप के अनवरत शोर में<BR/>रह गई मौन जो एक शहनाई हूँ<BR/>आप पारस हैं, बस आपके स्पर्श ने<BR/>एक पत्थर छुआ और प्रतिमा बनी<BR/>आपके स्नेह की गंध की छाँह में<BR/>जो सुवासित हुई, मैं वो अरुणाई हूँ.<BR/><BR/>सादर<BR/><BR/>राकेश खंडेलवालराकेश खंडेलवालhttps://www.blogger.com/profile/08112419047015083219noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-22420687.post-59778827960554344842008-10-08T16:17:00.000+05:302008-10-08T16:17:00.000+05:30मेरे संदेशों को रूपसि, नित्य भोर की प्रथम रश्मि के...मेरे संदेशों को रूपसि, नित्य भोर की प्रथम रश्मि के<BR/>साथ सुनायेगा तुमको, यह आश्वासन दे गया दिवाकर<BR/><BR/>बहुत ही सुंदर गीत है, ये तो एक गगरी है पूरी नदी का इंतज़ार है ११ अक्टूबर को.<BR/>- अंकित सफर <BR/>http://ankitsafar.blogspot.com/Ankithttps://www.blogger.com/profile/08887831808377545412noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-22420687.post-7220677711091788742008-10-07T19:09:00.000+05:302008-10-07T19:09:00.000+05:30इतने अच्छी पोस्ट के लिये अनेकों धन्यवाद ! राकेश जी...इतने अच्छी पोस्ट के लिये अनेकों धन्यवाद ! राकेश जी वस्तुत: जादूगर हैं, बस हाथ में जादू कि छ्डी के बजाय कलम लिये हुये हैं । आशा है पुस्तक प्रकाशन पे होने वाले कवि-सम्मेलन का भी अंश भी देखने को मिलेंगे ।Sharhttps://www.blogger.com/profile/16686072974110885189noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-22420687.post-74116730842395199262008-10-07T18:52:00.000+05:302008-10-07T18:52:00.000+05:30इतने अच्छी पोस्ट के लिये अनेकों धन्यवाद ! राकेश जी...इतने अच्छी पोस्ट के लिये अनेकों धन्यवाद ! राकेश जी वस्तुत: जादूगर हैं, बस हाथ में जादू कि छ्डी के बजाय कलम लिये हुये हैं । आशा है पुस्तक प्रकाशन पे होने वाले कवि-सम्मेलन का भी अंश भी देखने को मिलेंगे ।Sharhttps://www.blogger.com/profile/16686072974110885189noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-22420687.post-57661804509138364462008-10-07T18:50:00.000+05:302008-10-07T18:50:00.000+05:30इतने अच्छी पोस्ट के लिये अनेकों धन्यवाद ! राकेश जी...इतने अच्छी पोस्ट के लिये अनेकों धन्यवाद ! राकेश जी वस्तुत: जादूगर हैं, बस हाथ में जादू कि छ्डी के बजाय कलम लिये हुये हैं । आशा है पुस्तक प्रकाशन पे होने वाले कवि-सम्मेलन का भी अंश भी देखने को मिलेंगे ।Sharhttps://www.blogger.com/profile/16686072974110885189noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-22420687.post-2044791534555318792008-10-06T19:51:00.000+05:302008-10-06T19:51:00.000+05:30सोचता रह गया स्नेह जो आपका मैने पाया है उसके लिये ...सोचता रह गया स्नेह जो आपका मैने पाया है उसके लिये कुछ कहूँ<BR/>लेखनी ने कहा जो अनुज है मेरा उसकी बातें करूँ, मैं नहीं चुप रहूँ<BR/>आपने शीर्ष पर जो बिठाया मुझे, वह था आसन रहा आपके वास्ते<BR/>कोशिशें हैं मेरी आपके द्वार पर प्रीत का एक निर्झर बना मैं बहूँराकेश खंडेलवालhttps://www.blogger.com/profile/08112419047015083219noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-22420687.post-62301875522401356562008-10-06T16:39:00.000+05:302008-10-06T16:39:00.000+05:30अग्रिम बधाई..राकेश जी और पंकज जी को...नीरजअग्रिम बधाई..राकेश जी और पंकज जी को...<BR/>नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-22420687.post-33949532575575956242008-10-06T09:19:00.000+05:302008-10-06T09:19:00.000+05:30Abhinavji, Rakeshji ki rachnayen main padhta rahta...Abhinavji, Rakeshji ki rachnayen main padhta rahta hun. kafi achha likhte hain. aapka unse parichay hai kya ? kal raat humlog ek kavi sammelan men the. adityaji ne achha sanchalan kiya. aur aap kaise hain? mail par likhiyega kya haal chal hain.श्रीकांत पाराशरhttps://www.blogger.com/profile/02488429636132949216noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-22420687.post-55318008859857642992008-10-06T08:25:00.000+05:302008-10-06T08:25:00.000+05:30विमोचन उसी कवि सम्मेलन में होने वाला है क्या जिसकी...विमोचन उसी कवि सम्मेलन में होने वाला है क्या जिसकी समीरजी आप बात कर रहे थे। राकेश जी को बधाई और अभिनव आपको आभार खबर बताने के लिये, कविता के मामले में आप भी कुछ कम नही और पकंज सुबीर तो वैसे भी बहुतों के गुरू है।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-22420687.post-54585797746903250242008-10-06T07:07:00.000+05:302008-10-06T07:07:00.000+05:30"अँधेरी रात का सूरज" के प्रकाशन और विमोचन के लिये ..."अँधेरी रात का सूरज" के प्रकाशन और विमोचन के लिये अग्रिम बधाई व शुभकामना -<BR/>और भाई श्री पँकज सुबीर जी को भी धन्यवाद -<BR/>इस तरह निस्पृहता से कार्य करने के लिये -<BR/>बहुत स्नेह सहित,<BR/> - लावण्यालावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-22420687.post-16514017241667132192008-10-06T06:31:00.000+05:302008-10-06T06:31:00.000+05:30बिल्कुल सही!! आभार इस प्रस्तुति के लिए. विमोचन की ...बिल्कुल सही!! आभार इस प्रस्तुति के लिए. विमोचन की राह तक रहा हूँ.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.com