tag:blogger.com,1999:blog-22420687.post767350080845374206..comments2023-09-03T20:06:37.331+05:30Comments on निनाद गाथा: कुछ संस्मरण कुछ स्मृतियाँ - महान राष्ट्रकवि डा बृजेन्द्र अवस्थीअभिनवhttp://www.blogger.com/profile/09575494150015396975noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-22420687.post-18933237035213761052007-01-27T21:44:00.000+05:302007-01-27T21:44:00.000+05:30अपनी वीणा में से तराश मां शारद ने
जिसके हाथों मे इ...अपनी वीणा में से तराश मां शारद ने<br />जिसके हाथों मे इक लेखनी सजाई थी<br />जिसकी हर कॄति के शब्द शब्द में छुपी हुई<br />सातों समुद्र से ज्यादा ही गहराई थी<br />जिसकी वाणी का ओज प्राण भर देता था<br />मॄत पड़े हुए तन में अमॄत की धारा बन<br />मैं अक्षम हूं कुछ बात कर सकूँ उस कवि की<br />ब्रह्मा ने वर में जिसको दी कविताई थी.राकेश खंडेलवालhttps://www.blogger.com/profile/08112419047015083219noreply@blogger.com