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मेरी क्रिसमस
Dec 24, 2012
आज शाम को यूँ ही जाकर खड़ा हो गया अपनी बालकनी
पर,
बारिश बिलकुल वैसे ही हो रही थी जैसे सियैटल में
होती है,
नीचे एक लड़की पिज़्ज़ा डिलीवर करने जा रही थी,
कार से नहीं पैदल,
कभी एक हाथ में पिज़्ज़ा का बड़ा थैला पकड़ती,
कभी दूसरे में,
हाथ थक रहा था,
उसनें मुझे देखा तो मैंने इशारे से उसे थैला सर पर
रखने को कहा,
उसनें झट वो थैला सर पर रखा,
बिलकुल वैसे जैसे अपने यहाँ मजदूरनियाँ सर पर उठा
लेती हैं,
पूरी की पूरी ईमारत की ईटें,
आगे के मोड़ पर जाकर,
उसनें धन्यवाद में हाथ हिलाया,
और ज़ोर से 'मेरी क्रिसमस' की आवाज़ लगाई.
प्रेषक: अभिनव @ 12/24/2012
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1 प्रतिक्रियाएं:
AAchi hai :)
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