करूँ क्या दान...

Dec 22, 2012


करूँ क्या दान ज़िंदगी, बचा क्या मेरे पास है,
किसी को प्राण दे दिये, ह्रदय किसी का हो गया.

न कोई गीत प्रेम का अधर पे मेरे आ सका,
न कोई राग भैरवी कभी स्वरों को पा सका,
मगर मिलाप हो गया नयन से नभ की ताल का,
पड़ाव बन गया समय समय की तेज़ चल का,
कुछ ऐसी रोशनी हुयी मैं रोशनी में खो गया,
किसी को प्राण दे दिये, ह्रदय किसी का हो गया.

निशा चरण चरण कटी मगर न मोक्ष पा सकी,
सपन थे द्वार पर खड़े न नींद किंतु आ सकी,
बहुत अधिक थकान थी शरीर खंड खंड था,
नयन को अपने तेज़ पर घमंड ही घमंड था,
जो पुण्य गोद मिल गई मैं गहरी नींद सो गया,
किसी को प्राण दे दिये, ह्रदय किसी का हो गया.

सभी कलुष भसम हुए कुछ इस तरह का होम था,
न कोई भेदभाव था प्रसन्न रोम रोम था,
उलझ सकी न ज़िंदगी किसी भी जात पात में,
फँसी न साँस फिर कभी कहीं किसी प्रपात में,
नए जनम की खोज में मैं उसके पास जो गया.
किसी को प्राण दे दिये, ह्रदय किसी का हो गया.

न दृश्य दिख सका कोई नयन नयन बहक गए,
वो मेरे द्वार आ गई चमन चमन महक गए,
पवन का वेग थम गया गगन की धूप ढल गई,
वो दामिनी सी हंस पड़ी शिला शिला मचल गई,
बरस उठा कुछ इस तरह वो मेघ पाप धो गया,
किसी को प्राण दे दिये, ह्रदय किसी का हो गया.

करूँ क्या दान ज़िंदगी, बचा क्या मेरे पास है,
किसी को प्राण दे दिये, ह्रदय किसी का हो गया.



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