मिस्र में ब्लॉगर को जेल की सज़ा

Feb 22, 2007

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या तो बदचलन हवाओं का रुख मोड़ देंगे हम,
या खुद को वाणी पुत्र कहना छोड़ देंगे हम,
जिस दिन भी हिचकिचाएँगे लिखने से हकीकत,
काग़ज को फाड़ देंगे कलम तोड़ देंगे हम।

-- शिव ओम 'अम्बर'

2 प्रतिक्रियाएं:

Anonymous said...

साहिर लुधियानवी के शब्दों में
धडकनें रुकने से अरमान नहीं मर जाते
सांस थम जाने से एलान नहीं मर जाते
होठ सिल जाने से फ़रमान हैं मर जाते

Anonymous said...

ये सिपाही है वणी स्वतंत्रता के.