पिछले कुछ समय से भारतवासी संसार के कोने कोने में अपना बोरिया बिस्तरा लेकर पहुँच चुके हैं। पहले व्यक्ति जहां पैदा होता था, उसकी अनेक सन्ततियां भी वहीं डेरा जमाती थीं। लोग बाहर ना जा सकें इसके लिए समुद्र यात्रा पर जात बिरादरी से बाहर इत्यादि नियम भी बनाए गए थे। सुनते हैं कि अपने गांधीजी पर यह नियम लागू भी किया गया था। अभी भी ऐसे लोग मिल जाएंगे जो अपनी चारदीवारी से बाहर आने में कतराते हैं। परंतु प्रगति का एक अंश है गति, और गति हमें एक स्थान से दूसरे तक की दूरी तय करवाती है। यह भी सत्य है कि लोगों की बोलचाल, खानपान, चलना फिरना, नियम कानून और भी अनेक इस प्रकार की चीज़ें उसकी भौगोलिक स्थिति के अनुसार बदलती रहती हैं। ऐसे में एक से अधिक संस्कृतियों में स्वयं को सहज कर पाने में किन विशेष योग्यताओं की आवश्यकता होती है। या फिर यूँ कह लें वो कौन सी समस्याएं हैं, अच्छाइयां हैं और कौन सी बुराइयाँ हैं जो व्यक्ति दो विरोधाभासी संस्कृतियों के संपर्क में ग्रहण करता है। मेरा आप सुधीजनों से अनुरोध हैं कि कृपया इस विषय पर अपने विचार व्यक्त करें। बात ज़रा पूरब और पश्चिम जैसी है, पर ज्वलंत है।
महा लिख्खाड़
-
चक्रधर दुबे3 days ago
-
होली है पर्याय प्रेम का!4 weeks ago
-
मतदाता जागरूकता गीत1 month ago
-
मुसीबतें भी अलग अलग आकार की होती है5 months ago
-
पितृ पक्ष6 months ago
-
‘नाबाद’ के बहाने ‘बाद’ की बातें1 year ago
-
गीत संगीत की दुनिया1 year ago
-
-
व्यतीत4 years ago
-
Demonetization and Mobile Banking7 years ago
-
मछली का नाम मार्गरेटा..!!9 years ago
नाप तोल
1 Aug2022 - 240
1 Jul2022 - 246
1 Jun2022 - 242
1 Jan 2022 - 237
1 Jun 2021 - 230
1 Jan 2021 - 221
1 Jun 2020 - 256
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
5 प्रतिक्रियाएं:
आपने तो अनुगूंज मार्का सवाल उठा लिया हैं. जवाब के लिए तो लगता हैं पुरी पोस्ट ही लिखनी पङेगी. चलो कोशीष करेंगे.
आपने काफ़ी अच्छा मुद्दा उठाया है। लेकिन अगर इस विषय पर अनुगूंज का आयोजन हो, तो ज़्यादा बेहतर रहेगा। इसी विषय पर अगले अनुगूंज का आयोजन आप क्यों नहीं करते? इससे सभी को अपनी-अपनी राय विस्तार से बताने का मौक़ा मिलेगा।
आप ठीक कह रहे हैं, अनुगूंज का आयोजन हो तो बढ़िया रहेगा। हम ज़रा नए हैं ब्लाग जगत में अतः अनुगूँज के विषय में अधिक ज्ञान नहीं था। अभी देखा, ज़बरदस्त है।
भाईसाहब विषय शानदार है. हो जाए अनुगुंज. बस 15 अप्रेल तक इंतजार करिए.
सही विषय उठाया है अभिनव, अनुगूँज का आयोजन कर रहे हो ना
Post a Comment